अपनी बेटी के प्रति क्यों आकर्षित हुए ब्रह्मा? ऐसा क्या अपराध हुआ ब्रह्मा से जो शिव ने उनका पांचवां सिर ही काट डाला
33
करोड़ हिन्दू देवी देवताओं से जुड़े ना जाने कितने ही किस्से और कहानियां
हमारे पुराणों में मौजूद हैं. ईश्वरीय लीला, उनके द्वारा किए गए चमत्कार
आदि से संबंधित कथाएं हम अकसर सुनते रहते हैं. आज हम आपको सृष्टि के
सृजनकर्ता ब्रह्मा के पांचवें सिर से जुड़ी एक ऐसी ही कथा सुनाने जा रहे हैं
जो आज से पहले शायद आपने कभी ना सुनी हो.
ब्रह्मा
की मूरत में, तस्वीर में हमने सिर्फ उनके चार सिरों को देखा है लेकिन क्या
आप जानते हैं ब्रह्मा का पांचवां सिर भी था जिसे उन्होंने अपनी ही गलतियों
की वजह से गंवाया था. ऐसा माना जाता है कि अपने भक्त मनमाध की तपस्या से
प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने उसे तीन ऐसे बाण भेंट किए थे जिनका उपयोग जिस किसी
व्यक्ति पर भी होगा वो प्रेम रस में डूब जाएगा. इस बाण का परीक्षण करने के
लिए मनमाध ने स्वयं ब्रह्मा पर ही इसका प्रयोग कर लिया. उस समय ब्रह्मा
अकेले थे इसलिए अपनी प्रेम भावना को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने अंदर
से सतरूपा नाम की एक स्त्री को अवतरित किया. ब्रह्मा सतरूपा की सुंदरता पर
इतने अधिक मोहित थे कि उसे एक पल के लिए भी अपनी आंखों से दूर नहीं करना
चाहते थे. वह हर दिशा में सतरूपा को देख सकें इसलिए उन्होंने अपने चार सिर
विकसित किए. सतरूपा उनसे परेशान होकर आसमान में रहने लगी तो उसे देखने के
लिए ब्रह्मा ने अपना पांचवां सिर भी विकसित कर लिया.
सतरूपा को
परेशान देखकर भगवान शिव क्रोधित हुए. उनका कहना था कि सतरूपा ब्रह्मा का
हिस्सा है तो वह उनकी बेटी समान है और बेटी पर बुरी नजर रखना अनैतिक है.
ब्रह्मा को उनकी अनैतिक भावनाओं के लिए दंड देने का निश्चय कर शिव ने उनके
पांचवें सिर को उनके धड़ से अलग कर दिया.
Read: अनहोनी की आशंका को पहले ही जान जाती हैं वो, क्या है बंद आंखों की अनजान हकीकत
सतरूपा के
विषय में कई लोगों का कहना है कि सृष्टि का निर्माण करते हुए ब्रह्मा ने
अत्याधिक मोहक और सुंदर सतरूपा नाम की स्त्री को बनाया और स्वयं उसके प्रेम
में पड़ गए. उसे हर जगह देखने के लिए उन्होंने अपने चार सिर विकसित किए.
ब्रह्मा की दृष्टि हर समय सतरूपा को घेरे रहती थी, जिससे सतरूपा बहुत तंग आ
गई थी. वह आकाश में रहने लगी पर ब्रह्मा ने अपना पांचवा सिर ऊपर की ओर
विकसित किया जो सतरूपा को आसमान में भी देखता था. सतरूपा को जन्म देने वाले
ब्रह्मा ने जब उन पर अपनी बुरी नजर रखनी शुरू की तो भगवान शिव ने उन्हें
सबक सिखाने के लिए उनका पांचवा सिर काट डाला.
ब्रह्मा
जी के पांचवें सिर से जुड़ी एक अन्य कथा कुछ इस तरह है कि एक बार ब्रह्मा और
विष्णु रोशनी का पीछा कर रहे थे. दोनों में शर्त लगी कि जो उस रोशनी के
छोर तक पहले पहुंचेगा वही विजेता होगा. सूअर का वेश धरकर पानी में कूदकर
विष्णु रोशनी का छोर ढूंढ़ने निकले, जबकि ब्रह्मा को समझ नहीं आ रहा था कि
वो कैसे खुद को विजेता कहला पाने में सक्षम हों.
रास्ते
में ब्रह्मा ने एक फूल से पूछा कि रोशनी कहां से आ रही है, फूल ने उत्तर
दिया कि यह अंतरिक्ष से गिर रही है. फूल को झूठा गवाह बनाकर ब्रह्मा अपनी
जीत निश्चित करने पहुंच गए. परंतु भगवान शिव ने उनका झूठ पकड़ लिया और उनका
पांचवा शीश काटकर उन्हें दंड दिया. दंतकथाओं के अनुसार वह शिव ही थे जो
रोशनी के रूप में नजर आ रहे थे.
No comments:
Post a Comment