वचनबद्ध
पिता अयोध्या नरेश दशरथ के पुत्र मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम और आदर्श,
आज्ञाकारी भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न हमारे पवित्र ग्रंथों का हिस्सा
हैं. राम की जन्मभूमि अयोध्या नगरी आज भी पवित्र मानी जाती है. अपने वचन के
लिए अपने ही पुत्र को वनवास देकर प्राण गंवाने वाले दशरथ भी धर्म पुरुष के
रूप में धर्म ग्रंथों में अमर हो गए. उनकी पत्नियां कौशल्या, सुमित्रा और
कैकेयी भी राम और दशरथ से जुड़कर पवित्र ग्रंथों का हिस्सा बन गईं लेकिन इन
सबसे जुड़ा एक चरित्र ऐसा भी था जो राम और रामायण की कहानियों में कहीं नहीं
है लेकिन अगर वह न होती तो रामायण तो बाद की बात है, राम ही शायद न होते.
इसके बावजूद इस बेहद महत्वपूर्ण चरित्र को पवित्र वाल्मीकि रामायण से दूर
रखा गया है. क्यों?
दशरथ
के पिता सूर्य राजवंश के 38वें राजा थे. वे सरयू नदी के दक्षिणी किनारे पर
स्थित कौशल राज्य के राजा थे. सरयू नदी के उत्तरी किनारे स्थित कौशल राज्य
का राजा सूर्य वंश का ही कोई दूसरा व्यक्ति था. अजा की पत्नी और दशरथ की
माता इंदुमती वास्तव में एक अप्सरा थीं लेकिन किसी शापवश धरती पर साधारण
स्त्री वेश में रहने को विवश थीं. इसी रूप में इंदुमती का विवाह अजा से हो
गया और दशरथ पैदा हुए. एक दिन इंदुमती और अजा साथ-साथ बैठे हुए थे कि उसी
जगह से आसमान से नारद गुजर रहे थे. नारद की वीणा से एक माला टूटकर इंदुमती
पर गिरी और वह अपने शाप से मुक्त हो इंद्रलोक चली गई.
अजा
इंदुमती से बहुत प्रेम करते थे और बहुत कोशिशों के बाद भी जब वे इंदुमती
तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं समझ सके तो स्वेच्छा से अपने प्राण हर लिए.
उनकी मौत के वक्त दशरथ मात्र 8 माह के थे. कौशल के राजगुरु वशिष्ठ के आदेश
से गुरु मरुधन्वा ने दशरथ का पालन-पोषण किया और अजा के राज में सबसे
बुद्धिमान मंत्री सुमंत्र ने दशरथ के प्रतीक रूप में राज्य का कार्यभार
संभाला. 18 वर्ष की उम्र में दशरथ ने कौशल जिसकी राजधानी अयोध्या थी, का
भार संभाल लिया और दक्षिणी कौशल के राजा बन गए. वे उत्तरी कौशल को भी इसी
में मिलाना चाहते थे. उत्तरी कौशल के राजा की एक बेटी थी कौशल्या. दशरथ ने
उत्तरी कौशल के राजा से उनकी बेटी कौशल्या से विवाह करने का प्रस्ताव रखा.
उत्तरी कौशल के राजा ने भी प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और इस तरह
दशरथ-कौशल्या के विवाह के साथ दशरथ कौशल नरेश बन गए.
हालांकि
वाल्मीकि रामायण जो वास्तविक रामायण मानी जाती है, में इस प्रसंग का
उल्लेख नहीं है लेकिन वशिष्ठ रामायण में उत्तरी और दक्षिणी कौशल के राजा के
पुत्र-पुत्री होने के कारण दशरथ और कौशल्या समान गोत्र के थे और उनके समान
वंश से होने का उल्लेख है जो इन्हें मालूम नहीं था. वशिष्ठ रामायण में ही
इस बात का भी उल्लेख है कि विवाह के तुरंत बाद कौशल्या गर्भवती हो गईं और
उनकी एक पुत्री हुई किंतु वह अपाहिज थी. बहुत उपचार के बाद भी वह ठीक न हो
सकी तो गुरु वशिष्ठ से कारण और उपचार पूछा गया. गुरु वशिष्ठ ने इसका कारण
कौशल्या और दशरथ का समान गोत्र से होना बताया गया और उन्होंने कहा कि उनकी
बेटी तभी ठीक हो सकती है अगर उसे किसी को गोद दे दिया जाए. इसलिए दशरथ और
कौशल्या की पहली संतान गोद दे दी गई. इसके बाद कौशल्या और दशरथ को और कोई
संतान न होने कारण दशरथ ने सुमित्रा और कैकयी से विवाह भी किया पर संतान
फिर भी न हुई. आखिरकार वशिष्ठ की सलाह पर ही यज्ञ कराया गया जिसके प्रभाव
से राम, लक्ष्मण भरत और शत्रुघ्न पैदा हुए. इस प्रकार वशिष्ठ रामायण के
अनुसार राम की एक बहन भी थी लेकिन वाल्मीकि रामायण में उसका कोई जिक्र नहीं
है. वशिष्ठ रामायण के अनुसार ही दशरथ-पुत्री का नाम शांतई था जिसका विवाह
ऋष्यश्रृंग से हुआ था.