Friday 31 July 2015

कुंभ मेले में होने वाले स्नान



मकर संक्राति से प्रारम्भ होकर वैशाख पूर्णिमा तक चलने वाले महाकुम्भ में वैसे तो हर दिन पवित्र स्नान है फिर भी कुछ दिवसों पर ख़ास स्नान होते हैं। इसके अलावा तीन शाही स्नान होते हैं। ऐसे मौकों पर साधु संतों की गतिविधियाँ तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र होती है। कुम्भ के मौके पर तेरह अखाड़ों के साधु-संत कुम्भ स्थल पर एकत्र होते हैं।




शाही स्नान में संघर्ष का इतिहास

इतिहास बताता है कि शाही स्नान के वक्त तमाम अखा़ड़ों एवं साधुओं के संप्रदायों के बीच मामूली कहासुनी भी खूनी संघर्ष के रूप में तब्दील हो जाती है। हरिद्वार कुंभ में तो ऐसे कई मामले हुए हैं। वर्ष 1310 के महाकुंभ में महानिर्वाणी अखाड़े और रामानंद वैष्णवों के बीच हुए झगड़े ने खूनी संघर्ष का रूप ले लिया था। वर्ष 1398 के अर्धकुंभ में तो तैमूर लंग के आक्रमण से कई जानें गई थीं।




वर्ष 1760 में शैव संन्यासियों व वैष्णव बैरागियों के बीच संघर्ष हुआ था। 1796 के कुम्भ में शैव संन्यासी और निर्मल संप्रदाय आपस में भिड़ गए थे। 1927 में बैरीकेडिंग टूटने से काफी बड़ी दुर्घटना हो गई थी। वर्ष 1986 में भी दुर्घटना के कारण कई लोग हताहत हो गए। 1998 में हर की पौड़ी में अखाड़ों के बीच संघर्ष हुआ था। 2004 के अर्धकुंभ मेले में एक महिला से पुलिस द्वारा की गई छेडछाड़ ने जनता, खासकर व्यापारियों को सड़क पर संघर्ष के लिए मजबूर कर दिया, जिसमें एक युवक की मौत हो गई।

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